भगवान शंकर ने यज्ञकुंड से सती के पार्थिव शरीर को निकाल कर कंधे पर उठा लिया और गुस्से में तांडव करने लगे। ब्रह्मांड की भलाई के लिए भगवान विष्णु ने ही सति के अंग को 52 भागों में विभाजित कर दिया।